bageshwar dham sarkar : बागेश्वर धाम बाबा की बात देश भर में होती रही है, उनके चमत्कारों की चर्चा और उनकी परीक्षा भी मीडिया के माध्यम से ली जा चुकी है। इसके अलावा बागेश्वर धाम के भक्तों को भी बागेश्वर शक्ति पीठ के बाबा के पर्चा लिखने की शक्ति के बारे में जानने की जिज्ञासा रहती है। शक्ति के रहस्य पर बाबा बागेश्वर बाबा (bageshwar dham mandir )ने अपनी बात रखी है साथ ही उन्होंने ठठरी शब्द का क्या अर्थ होता है यह भी बताया इस लेख को पूरा पढ़िये और जानिये इस बारे में।
हिंदू राष्ट्र यज्ञ करा रहे बागेश्वर धाम के धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री
Dhirendra Krishan Shastri In Aap Ki Adalat : बागेश्वर धाम बाबा ( bageshwar dham)ने कहा कि बागेश्वर धाम सभी पार्टियों का धाम है ऐसा कहा है। उनकी इस बात से यह बात स्पष्ट है कि चाहे कोई भी पार्टी हो या धर्म हो या जाति हो सभी क लिये बागेश्वर धाम खुला है। भारत हिंदू राष्ट्र बनेगा तभी एकता होगी ऐसा विचार भी रखा है। उनका कहना है कि सामाजिक सौहार्द आएगा, जातियां तो होंगी लेकिन जातिवाद नहीं भारत को स्वच्छ बनाओ और अंदर जो गंदगी है उसको भी मिटाओ और भारत को हिंदू राष्ट्र बनाओ ऐसा विचार रखा।
पत्रकार रजत शर्मा ने उनसे पूछा कि ‘कुछ लोग आपको पीठाधीश्वर मानते हैं, गुरु, महाराज या संत मानते हैं, लेकिन आप जिस भाषा का उपयोग करते हैं वो साधु की भाषा तो नहीं हो सकती नहीं लगती।
ठठरी क्या होती है? अर्थ बताया
bageshwar dham balaji के धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने ठठरी का मतलब भी बताया है। उन्होंने कहा कि यह हमारे बुंदेलखंड का भावनात्मक शब्द है ठठरी। जब माताएं आवेश में होती है, बच्चा कोई गलती कर देता है, तो माताएं कहती हैं कि ‘अरे ठठरी के बरने सुधर जा…’। हम गांव के भोले भाले हैं, अनपढ़ हैं, ठीक से पढ़ाई तो की नहीं। दरअसल,ठठरी का अर्थ ‘अर्थी’ होता है। बरने का अर्थ होता है ‘जलना’।
रामचरित मानस पर क्या हैं धीरेंद्र शास्त्री के विचार
जो पारिवारिक बोलचाल है उसमें यदि कोई साधु, भगवान या रामचरित मानस पर टिप्पणी करेगा या उंगली उठाएगा तो स्वभाववश सनातनी हिंदू होने के नाते वह लहजा निकल जाता है। इसमे कौनसी गलत बात है। कोई भगवान को गाली दे और हम उसे श्रीमान कहें, तो ये तो न्यायसंगत नहीं है ऐसा तो बागेश्वर बाबा धीरेंद्र शास्त्री ( bageshwar dham sarkar guruji name )ने बताया।
तो भारत बन सकेगा विश्वगुरु : धीरेन्द्र शास्त्री
जाति के नाम पर अब वोट लेना बंद किया जाए और भारत को हिंदू राष्ट्र बनाया जाये। इससे देश में सामाजिक समानता और समरसता और सौहाद्रता होगी। bageshwar balaji dham के धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि हिंदू राष्ट्र बनने से देश में न पत्थर गलेंगे और न ही रामचरितमानस का अपमान होगा और न ही उसकी प्रतियां जलेंगी। उन्होंने कहा कि हिंदू राष्ट्र होगा तो देश में रामराज्य आ जाएगा और भारत विश्व गुरु बन जायेगा।
‘स्कूल में जाते तो बच्चे हमारे पास आ जाते थे’
बागेश्वर धाम चीफ ने अपनी पुराने किस्से को बताते हुए जानकारी दी कि कि एक बार “हम स्कूल में जाते थे तो बच्चे हमारे पास आ जाते थे। सबकी क्लास एक साथ हो जाती थी। आठवीं, नौवीं, दसवीं सबकी क्लास एक साथ हो जाती थी, जिसमें हम बैठते थे। बच्चे पूछते थे कि महाराज जी बताइए हमारी कितनी पर्सेंटेज बन रही है। फिर मैं कहता था कि प्यारे तेरे 56% बन रहे हैं और मेहनत कर 60 हो जाएगी।” इस दौरान धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि उस समय बचपन में दिखाने का भाव रहता था। हालांकि, अब तो बहुत गंभीर हो गया हूं।
bageshwar balaji dham – हनुमान जी से मिलती है प्रेरणा
उन्होंने कहा, “हम से कोई शक्ति बात नहीं करती थी। कोई सामने शक्ति नहीं है, जो हमारे पास बैठती है। अनुभव होता है, प्रेरणा होती है। जैसे ऋषि परंपरा में प्रेरणा है, हमारे भारत में अनेक-अनेक महापुरुष हैं तो हमें प्रेरणा होती है, ऐसा अनुभव होता है कि ऐसा होगा, जैसे हमें लग जाता है कि ऐसा होगा। वो हम लिख देते हैं और इष्ट कृपा से अपने इष्ट के प्रति आस्था से वो बात सत्य निकलती है।”
Bageshwar Dham Sarkar In Aap Ki Adalat
bageshwar balaji धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि कहा कि दुनिया को ये भी बताना चाहिए कि मैं टीटी से 1100 रुपये लेकर आया था। उन्होंने आगे कहा, ‘अपने वाईवाई के दम पर उसके बाप का नाम बताकर लेकर आए थे।’ ‘इस तरह की बातें कह कर ऐसे दिखाते हैं जैसे चमत्कार कर दिया, मेरे ऊपर हनुमान जी की कृपा हो गई, मैं भविष्यवक्ता हूं और फिर भोले भाले लोग प्रभावाति हो जाते हैं’
Dhirendra Shastri Bageshwar Dham Sarkar In Aap Ki Adalat:
bageshwar dham chhatarpur के बागेश्वर बाबा ने कहा, कि वो कोई भगवान नहीं हैं बल्कि एक आम इंसान है। उनके ऊपर बस बरजंग बली की कृपा है उन्होंने कहा कि दक्षिणा लेने की परंपरा तो महाभारत काल से चली आ रही है। वो उस परंपरा से आते हैं जिसमें अंगूठा तक दान में दिया जाता था।
एक कच्चे कमरे में ही पांच लोगो का उनका परिवार गुजर-बसर करता था. प्रारंभिक जीवन भीषण गरीबी में व्यतीत हुआ था. राम गढ़ा में 10 जुलाई 1996 को पिता श्री राम कृपाल गर्ग एवं माता श्री मती सरोज के आगन में जन्मे बालक धीरेन्द्र को क्या पता था की वे एक दिन भगवत कृपा को उपलब्ध होकर मानव कल्याण का माध्यम बनेंगे. कर्म कांडी ब्रह्मण परिवार होने के कारण पुरे परिवार की जीविका पूजा और अनुष्टान कराने के बाद मिलने वाली दक्षिणा पर ही निर्भर करती थी.