
cg news live : chhattisgarh (cg news today): कैसे ‘कैटल फ्री जोन’ बनेगा बिलासपुर? हाईकोर्ट की सख्ती के बावजूद अभी ये हैं आपको बता दें।चुनौतियां
Smart City Bilaspur news– chhattisgarh (cg news today) (Chhattisgarh) में चुनावों से पहले अब सड़कों पर घूम रहे आवारा पशुओं से बढ़ रही मुसीबतें चुनावी मुद्दा बनती नजर आ रही हैं. लेकिन बिलासपुर हाईकोर्ट (Bilaspur High court) के निर्देश के बावजूद सड़कों को आवारा पशुओं से मुक्त कर पाना अभी दूर की कौड़ी लग रही है. बिलासपुर सहित पूरे प्रदेश में सड़कों पर मौजूद आवारा पशुओं को दूर करना जिला प्रशासन और नगर निगम के लिए बेहद कठिन और नामुमकिन सा काम बन गया है.
पिछले दिनों chhattisgarh (cg news today) हाईकोर्ट ने इस पूरे मामले में संज्ञान लिया था. हाईकोर्ट ने प्रदेश और जिला स्तर पर समिति बनाकर इस पूरे मामले की निगरानी करने और इस काम को गंभीरता से पूरा करने की व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए थे. लेकिन जिला स्तर पर इस विषय को लेकर काम में खास गंभीरता नजर नहीं आ रही है. समिति की गैरमौजूदगी में इस काम की निगरानी और मॉनिटरिंग भी नहीं हो पा रही है. लिहाजा बिलासपुर जैसे स्मार्ट सिटी में कैटल फ्री जोन को सही मायनों में आवारा मवेशियों से मुक्त बनाने में अभी लंबा समय लगने वाला है. हालांकि हाईकोर्ट के निर्देश के बाद समिति बनाने की औपचारिकताओं को आनन-फानन में पूरा किया जा रहा है.
बता दें कि हाईवे सहित शहर के प्रमुख सड़कों से आवारा पशुओं को दूर रखने के लिए स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत कैटल फ्री जोन बनाया गया था, लेकिन इस क्षेत्र में काम करना नगर निगम प्रशासन और जिला प्रशासन के लिए अब किसी चुनौती से कम नहीं है. हालांकि हाईकोर्ट के निर्देश के बाद लगातार इस ओर काम किया जा रहा है. एक तरफ सड़कों पर घूमने वाले आवारा पशुओं को काऊकेचर के माध्यम से पकड़ कर अन्य जगहों पर छोड़ा जा रहा है तो वहीं दूसरी तरफ हाईवे में मौजूद इन पशुओं के गले में रेडियम के पत्ते बांधे जा रहे हैं, ताकि हाईवे में सफर करने वाली तेज रफ्तार गाड़ियां इसे देख ले और किसी तरह का गंभीर हादसा ना हो सके.
इन सब प्रयासों के बावजूद बिलासपुर शहर के कैटल फ्री जोन में अक्सर आवारा मवेशियों की बड़ी भीड़ नजर आ जाती है. लिहाजा स्मार्ट सिटी के तहत यहां जरूरी संसाधन और विकास तो दूर नगर निगम प्रशासन अपने रोजमर्रा के काम को भी पूरा नहीं कर पाता. सड़कों पर इन आवारा पशुओं की मौजूदगी नगर निगम के तमाम व्यवस्थाओं की पोल खोलने के लिए काफी है.
हालांकि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के एमडी और नगर निगम के कमिश्नर कुणाल दुदावत का कहना है कि हाईकोर्ट के निर्देश के पहले भी इस तरह के काम को बेहद गंभीरता से किया जा रहा था और अब जब हाईकोर्ट ने इस पूरे मामले में संज्ञान लेकर आवश्यक दिशा निर्देश दिए हैं आपको बता दें।तो जल्द ही इसे गंभीरता से पूरा कर लिया जाएगा.
अकेले बिलासपुर शहर में 17000 मवेशी
सड़कों पर मौजूद आवारा मवेशियों की संख्या के बारे में बिलासपुर नगर निगम के पास कोई पुख्ता जानकारी नहीं है. लेकिन नगर निगम के आला अधिकारी बताते हैं आपको बता दें।कि इस वक्त बिलासपुर में तकरीबन 17000 मवेशी मौजूद हैं. इसके अलावा शहर में अवैध रूप से डेयरियों का भी संचालन किया जा रहा है. अक्सर इन डेयरियों और गौपालकों के यहां पलने वाले इन मवेशियों के नॉन प्रोडक्टिव होने पर यानी ऐसी मवेशी जो दूध नहीं दे पाती या जिनसे पालक को कोई फायदा नहीं होता तब वह इन्हें सड़कों पर छोड़ देते हैं. ऐसी स्थिति में इन आवारा मवेशियों को उनकी संख्या के अनुरूप जरूरी व्यवस्था सुनिश्चित कर सड़कों से और प्रमुख रूप से हाईवे से दूर करना चुनौतीपूर्ण कार्य होगा.
नगर निगम के पास नहीं है जरूरी संसाधन…
बिलासपुर नगर निगम के पास इन आवारा पशुओं को पकड़कर दूरदराज जगह पर छोड़ना और वहां उन्हें जिंदा रहने के लिए जरूरी व्यवस्था सुनिश्चित करना कठिन काम होता जा रहा है. इसकी मुख्य वजह है कि बिलासपुर नगर निगम के पास पर्याप्त संसाधनों की कमी है. उदाहरण के लिए नगर निगम के पास इस वक्त केवल एक ही गांव के चार वाहन हैं. हालांकि वरिष्ठ अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार, उन्होंने 2 अन्य गांव के चार वाहन के लिए प्रपोजल तैयार कर लिया है. इसके अलावा छोटी और तंग गलियों में घुसकर आवारा पशुओं को पकड़ने के लिए छोटे वाहनों की दरकार होगी. इसके लिए भी व्यवस्था करनी अभी बाकी है. लेकिन चुनौतिया अभी कम वहीं है क्योंकि जरूरी संसाधन की व्यवस्था हो जाने के बाद भी इन आवारा मवेशियों को पकड़कर सही जगह पर छोड़ पाना और भी मुश्किल होता है. क्योंकि नगर निगम के इन कर्मचारियों को आवारा पशुओं को पकड़ने के लिए कोई समुचित प्रशिक्षण नहीं दिया जाता. वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार गायों को कैसे पकड़ा जाए. कुत्ते और अन्य जानवरों को कैसे रेस्क्यू किया जाए. उनके विस्थापन से पहले कौन-कौन सी जरूरी बातों का ध्यान रखना महत्वपूर्ण है. इस तरह की बिंदुओं पर नगर निगम के कर्मचारियों को कोई प्रशिक्षण नहीं दिया गया है. ऐसे में जाहिर है कि संसाधनों की कमी और प्रशिक्षण के अभाव में फिलहाल कामचलाऊ तरीके से इन आवारा पशुओं को पकड़ा और तय जगहों पर छोड़ दिया जाता है.
नोडल अधिकारी के नंबर किए गए सार्वजनिक
शहर में आवारा पशुओं की वजह से परेशान लोगों की मदद करने के उद्देश्य से नगर निगम प्रशासन ने इस मामले को लेकर एक नोडल अधिकारी की नियुक्ति की है. उनका नंबर भी सार्वजनिक कर दिया गया है. पहले ही दिन नंबर पर तकरीबन 27 लोगों ने फोन कर अपनी शिकायत दर्ज कराई. हालांकि सभी 27 मामलों का निराकरण कर पाना नगर निगम प्रशासन के लिए नामुमकिन था. क्योंकि उनके पास ना तो इतने संसाधन हैं आपको बता दें।और ना ही मैन पावर. ऐसी स्थिति में नोडल अधिकारी ने सभी फोन करने वाले शिकायतकर्ताओं की सभी जानकारी रजिस्टर में दर्ज करने की बात कही है. समय-समय पर इन शिकायतों के आधार पर कार्रवाई कर आवारा पशुओं को शहर से बाहर छोड़ने की व्यवस्था सुनिश्चित की है. हालांकि यह प्रक्रिया इतनी धीमी है कि शिकायत करने वाले लोगों में कई बार नगर निगम प्रशासन की लचर व्यवस्था को लेकर नाराजगी बढ़ने लगती है.
कैटल फ्री जोन के लिए बजट का प्रावधान नहीं
बिलासपुर स्मार्ट सिटी है लेकिन यहां स्मार्ट सिटी के अनुरूप संसाधन और व्यवस्थाएं नहीं हो पा रही हैं. कैटल फ्री जोन के लिए जहां प्रमुख सड़क और चौक चौराहों पर बोर्ड लगा दिए गए हैं. वहीं दूसरी तरफ इस प्रोजेक्ट में काम करने के लिए स्मार्ट सिटी के पास अलग से कोई प्रावधान या फंड नहीं है. यही कारण है कि सड़कों पर कैटल फ्री बोर्ड तो लगा दिए गए हैं, लेकिन सड़कों से आवारा पशु कभी हटाए ही नहीं गए.
आवारा पशुओं से हो रही दिक्कतों की वजह से लोगों में नाराजगी धीरे-धीरे बढ़ने लगी है. ऐसे में माना जा रहा है कि नगर निगम ने औपचारिकता निभाने के लिए स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत सड़कों पर जरूरी संसाधन और तय मापदंडों के अनुसार शहर के लोगों को मिल रही सुविधाओं के बारे में जानकारी देने वाले बोर्ड तो लगा दिए लेकिन अपने ही किए गए वादे और तय मापदंडों को पूरा कर पाने में वह अभी नाकाम नजर आ रहा है.
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