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cg news : इस बार भी होली पर हर्बल गुलाल का मुकाबला बाहरी गुलाल से होगा >> Chhattisgarh News

महासमुंद। इस बार होली के लिए बिहान समूह से जुड़ी महिलाओं द्वारा हर्बल गुलाल तैयार किया जा रहा है। स्व-सहायता समूह की स्वरोजगार करने वाली महिलाएं दिन-रात हर्बल गुलाल तैयार करने में जुटी हैं। इस गुलाल को लगाने से जहां चेहरे पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है। महिला स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से तैयार किए जा रहे इन हर्बल गुलाल व हर्बल रंगों की कई विशेषताएं हैं। इसमें फूलों के रंगों का प्रयोग किया जाता है। इतना ही नहीं गुलाल और रंगों में भी फूलों का इस्तेमाल खुशबू के लिए किया जाता है। इसमें कोई केमिकल नहीं मिलाया जाता है, जिससे नुकसान हो सकता है। यही वजह है कि इस गुलाल और रंग की डिमांड जिले के साथ ही आसपास के जिलों से भी आ रही है। वहीं महिलाओं को घर बैठे स्वरोजगार भी उपलब्ध हो रहा है।

महासमुंद जिले के डोगरपाली ग्राम पंचायत के जयमाता दी समूह की महिलाएं भी हर्बल गुलाल बनाने के काम में लगी हैं। समूह सदस्य अंबिका साहू ने बताया कि पिछले साल महिलाओं ने होली में 50 किलो हर्बल गुलाल बनाया था। जिसकी काफी डिमांड रही है। उन्होंने कहा कि 10 रुपये, 20 रुपये और 50 रुपये के हर्बल गुलाल के पैकेट बनाए गए। इस बार ज्यादा हर्बल गुलाल बनाने का लक्ष्य है। उन्होंने बताया कि पालक, लालभाजी, हल्दी। जड़ी-बूटियों, जड़ी-बूटियों और फूलों से हर्बल गुलाल बनाने का काम वह कर रही हैं। इसके अलावा मंदिर के फूल बाजार से निकलने वाली इस्तेमाल की हुई फूलों की पत्तियों को प्रोसेसिंग यूनिट में सुखाकर और पीसकर गुलाल तैयार किया जाता है। गुलाब, गेंदा, स्याही के फूल के साथ चुकंदर, हल्दी, आम और अमरूद की हरी पत्तियों को भी संसाधित किया जाता है।

महिलाओं ने बताया कि एक किलो हर्बल गुलाल बनाने में करीब 150 रुपए खर्च हो रहे हैं। वे गुलाल बनाने के लिए पालक, चुकंदर, सिंदूर आदि का इस्तेमाल करते हैं। इस गुलाल के इस्तेमाल से त्वचा को किसी भी तरह का नुकसान नहीं होगा। इसलिए क्षेत्र के लोग भी इसमें रुचि दिखा रहे हैं। हमारी कोशिश है कि लोगों को हर्बल गुलाल के फायदे समझाएं ताकि लोग इसे अपनाएं। वैसे भी यह उत्पाद देश के बाहर से आने वाले गुलाल आदि से सस्ता है। ऐसे में उन्हें यकीन है कि यह लोगों को पसंद आएगा। उन्होंने बताया कि समूह ने हाल ही में टेंट-कुर्सी आदि किराये पर देने का धंधा भी शुरू किया है.

हर्बल गुलाल बनाकर महिलाएं स्वावलंबन व स्वावलंबन का मार्ग प्रशस्त कर रही हैं। गांव की महिला सदस्यों का कहना है कि कोरोना काल में सबके सामने आर्थिक संकट बढ़ गया है. उसके परिवार की आजीविका मजदूरी पर निर्भर है लेकिन उसे रोज काम नहीं मिल पा रहा है। जमीन कम होने के कारण वे खेती से भी कमाई नहीं कर पाते थे। लेकिन अब स्थिति धीरे-धीरे बदल रही है। जिला प्रशासन भी सहयोग कर रहा है। गोठानो में विभिन्न आर्थिक गतिविधियों का भी संचालन किया जा रहा है।

वही विकास महिला स्वयं सहायता समूह महासमुंद विकासखण्ड मामाभाचा ग्राम पंचायत इस वर्ष की होली के लिए पालक, लाल भाजी, हल्दी. फूलों से हर्बल गुलाल बनाना। वर्तमान में उनके द्वारा पीले, नारंगी, लाल एवं चंदन रंग के गुलाल का निर्माण किया जा रहा है, जिसे स्वयं सहायता समूह की महिलाएं गौठान परिसर, दुकान के माध्यम से बेच रही हैं. समूह की अध्यक्ष श्रीमती रूहानी ने बताया कि हर्बल गुलाल का आर्डर स्वयं सहायता समूह को दिया जा सकता है। हर्बल गुलाल बनाने में हल्दी, इत्र, पलास के फूल, हल्दी, विभिन्न सब्जियां और खाद्यान्न आदि का इस्तेमाल किया गया है। वर्तमान में समूह द्वारा 10 किलो गुलाल तैयार कर हर्बल गुलाल बनाने का कार्य जारी है। प्रशिक्षकों द्वारा समूह की महिलाओं को हर्बल गुलाल बनाने का प्रशिक्षण दिया गया है।

Compiled: jantapost.in
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