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india news in hindi : डाक्टर रोगी की पर्ची पर लिखे केवल जेनरिक दवाई : शान्ता कुमार

शिमला, 17 मई . हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री (Chief Minister) एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री शान्ता कुमार ने कहा कि भारत सरकार ने अत्यन्त महत्वपूर्ण निर्णय किया है कि सभी डाक्टर अब रोगी की पर्ची पर केवल जेनरिक दवाई लिखेगें. मैं पिछले 10 सालोँ से इस निर्णय का इन्तजार कर रहा हूं. बधाई आज भी नही दूंगा क्योंकि निर्णय कई बार हुए परन्तु विदेशी बहुराश्ट्रीय दवाई कम्पनियों के दबाव में आज तक लागू नही हुआ.

शान्ता कुमार ने बुधवार (Wednesday) को एक बयान में कहा कि मैं आज से 12 साल पहले संसद की स्थाई समित का अध्यक्ष था. पूरा एक साल कमेटी ने जेनरिक और ब्राण्डिड दवाई के विषय पर गहरा अध्ययन किया. 2013 में कमेटी ने सरकार को महत्वपूर्ण रिपोर्ट दी. मैं समिति के कुछ सदस्यों के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) (Prime Minister Narendra Modi) से मिला. मैंने कहा सरकार का एक पंक्ति का नियम देश के करोड़ों गरीबों को सस्ती दिला सकता है. मैंने कहा रिपोर्ट में एक उदाहरण दिया है कि विदेषी कम्पनी वायर की बनाई हुई ब्राण्डिड कैंसर की दवाई मैक्साबार 80 हजार आठ सौ रू0 में बेची जाती थी. अब वही दवाई हैदराबाद (Hyderabad) की स्वदेशी कम्पनी नैटको केवल 8 हजार आठ सौ रू0 में बेच रही है. दवाई की गुणवत्ता में कोई भी अन्तर नहीं है. प्रधानमंत्री हैरान हुए और उसी समय साथ बैठे सम्बन्धित मंत्री को कहा इस रिपोर्ट को शीघ्र लागू किया जाए.

शान्ता कुमार ने कहा उस समय के स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नडडा से बात की. सूरत (Surat) की एक जनसभा में प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि सरकार ऐसा नियम बना रही है कि हर डाक्टर रोगी की पर्ची पर केवल जेनरिक दवाई लिखेगा. मुझे दुख है कि प्रधानमंत्री की घोषणा भी कई सालों तक लागू नही हुई. जन औशधी दुकानों का लाभ देश की केवल 5 प्रतिशत जनता को है.

उन्होंने कहा जब कोई कम्पनी लम्बा शोध करके पहली बार दवाई बनाती है तो भारत के कानून के मुताबिक 20 साल तक उसका पेटेंट होता है और कोई भी कम्पनी उस दवाई को नही बना सकती. इस दवाई को ब्राण्डिड कहा जाता है. परन्तु 20 साल के बाद पेटेंट समाप्त होने पर उसी दवाई को कोई और कम्पनी बना सकती है. इसे जेनरिक दवाई कहते है. भारत जेनरिक दवाई बनाने में विश्व में अग्रणी है. करोड़ों रू0 की दवाईयां निर्यात होती है और भारत को विश्व की फार्मैसी भी कहा जाता है.

शान्ता कुमार ने कहा भारत का गरीब महंगे ईलाज के कारण ही दिवालिया होता है. इस निर्णय से गरीब को भारी राहत मिलेगी. उन्होंने कहा यदि भारत सरकार इस निर्णय केा सख्ती से लागू करे तो भारत में दवाई उद्योग दुगना हो जाएगा. ब्राण्डिड दवाई का मुनाफा विदेषों में जाता है परन्तु जेनरिक दवाई का मुनाफा भारत में रहेगा. उद्योग बढ़ेगा तो हजारों लोगों को रोजगार भी मिलेगा.

/उज्जवल

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Compiled: jantapost.in
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