
india news in hindi : हमें अपनी परफार्मेंस को बेस्ट देने के लिए तैयार रहना चाहिएः बृजेश पाठक
-उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के उपमुख्यमंत्री (Chief Minister) बृजेश पाठक गुरुवार (Thursday) से लखनऊ (Lucknow) में शुरू हुए दर्पण संस्था के 10 दिवसीय नाट्य समारोह में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे
लखनऊ (Lucknow), 18 मई . हम विचार करें तो हमारा जीवन भी एक नाटक ही है. ईश्वर ने हमें जो पात्र दिया है कि उसे हमें बेस्ट करने का प्रयास करना चाहिए. पात्र कोई छोटा-बड़ा नहीं होता है, उसकी परफार्मेंस छोटी-बड़ी हो सकती है. इसलिए अपना बेस्ट करने करने के तैयार होना चाहिए. यह बातें उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के उपमुख्यमंत्री (Chief Minister) बृजेश पाठक ने लखनऊ (Lucknow) में गुरुवार (Thursday) से शुरू हुए दस दिवसीय नाट्य समारोह में व्यक्त किए. नाट्य समारोह का आयोजन प्रसिद्ध नाट्य संस्था ’दर्पण ’के हीरक जयंती के अवसर पर उ.प्र. संगीत नाटक अकादमी के संत गाड्गे जी महाराज प्रेक्षागृह में किया गया. समारोह में बतौर मुख्य अतिथि आमंत्रित किए गए थे. इस अवसर पर दर्पण के संस्थापक प्रो. सत्यमूर्ति के नाम से सम्मान भी दिया गया. सम्मानित होने वाले में मुंबई (Mumbai) से आए गीतकार रामगोविंद, संस्था के शुरूआत से जुड़े रहे वीसी गुप्ता, विमल बनर्जी, विजय बनर्जी व विद्या सागर गुप्ता थे.
नाटक की कहानी
समारोह के पहले दिन नाटक ’स्वाहा’ का मंचन किया गया. दर्पण लखनऊ (Lucknow) की प्रस्तुति नाटक ’स्वाहा’ का लेखन व निर्देशन शुभदीप राहा ने किया है. कहानी की शुरूआत में दर्शाया गया कि रिटायर्ड आर्मी आफीसर एसपी के घर में एक महिला का फोन आता है. वह बांग्लादेश की रहने वाली है, जो अपने को जर्नलिस्ट है. वह फोन पर सैन्य अधिकारी को बताती है कि’ 71’ की वॉर में आपने हमारी जिंदगी को बचाया था. हम अभी भारत आए हैं और आपका धन्यवाद करना चाहते है.
दूसरे दृश्य में एसपी और उसका साथी के.के. बातचीत करते है, बाग्लादेश से शिखा आ रही है. लेकिन उसके बेटे मंदार, जो’ रॉ’ का आफीसर होता है, उसके घर में कोई आए, यह उसकी सर्विस रूल के खिलाफ था. उसे और उसके मेंटर जस्सी को महिला पर शक हो जाता है कि कहीं व आईएसआई की एजेंट तो नहीं है…
नाटक की कहानी आगे बढ़ती है, और नाटक ने एक नया मोड़ लिया. अंत में वह औरत शिखा जो अपने को जर्नलिस्ट बताती है दरअसल वही ’रॉ’ की अधिकारी होती और जस्सी उसका सहयोग करता है. मंदार जो अपने रॉ का अधिकारी बताता है, दरअसल वही आईएसआई का एजेंट होता है. मंदार पर शिखा और जस्सी पहले से ही शक था, वे मंदार का टारगेट करते है. यह जानकर पूर्व मेजर को बड़ा झटका लगता है और अपने बेटे को गोली मार देता है. यह नाटक का पटाक्षेप हो जाता है. नाटक के मुख्य किरदारों में डॉ. अनिल रस्तोगी, विकास श्रीवास्तव व दिव्या भारद्वाज थे.
जानकारी हो कि प्रो सत्यमूर्ति ने कानपुर (Kanpur) में साल 1961 में दर्पण की स्थापना की थी.
/शैलेंद्र/आकाश
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Compiled: jantapost.in
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