
Maharashtra Politics Crisis : महाराष्ट्र में एनसीपी में टूट का फायदा किसको?
Maharashtra Politics Crisis : महाराष्ट्र में भले ही एनसीपी (NCP Crisis ) टूट रहीं है। एनसीपी विधायकों ने भले ही दो धड़े बना लिये हैं परंतु यह बात भविष्य के लिये अच्छी खबर लेकर आई है। यहॉ हम आपको बतायेंगे कि किन परिस्थितियों में शरद पवार (Sharad Pawar ) की पार्टी एनसीपी को लाभ मिलेगा तो इस लेख को पूरा पढिय़े और समझिये।
NCP विभाजन तो चलिये बात करते हैं NCP के दो गुटों की । एनसीपी यानी राष्ट्रवादी कांग्रेस के दो धड़े पहला खुद सुप्रीमो शरद पवार जी का और दूसरा भतीजे अजीत पवार जी का है। अब वर्तमान के हालात की बात करें तो शरद पवार ही वर्तमान में अध्यक्ष हैं परंतु अजीत पवार ने स्वयं को अध्यक्ष घोषित किया है यानी भविष्य मेें वोटिंग के आधार पर और चुनाव आयोग तथा सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आधार पर चुनाव चिन्ह और पार्टी के भविष्य का फैसला होने का संकेत दिखाई दे रहा है।
NCP Crisis : अजित पवार (अजित गुट) ने कहा था कि आपकी (शरद पवार की) उम्र ज्यादा हो गई है। राज्य सरकार के कर्मचारी 58 साल में, केंद्र के 60 साल में, भाजपा में 75 साल में रिटायर्ड हो जाते हैं, लेकिन आप 84 साल के हैं। अब आप आशीर्वाद दीजिए। आपने पहले इस्तीफ दिया, फिर कमेटी बनाई और सुप्रिया सुले को राष्ट्रीय अध्यक्ष (Ncp divide ) बना दिया। जब Resignation वापस लेना ही था तो दिया ही क्यों था। मैं भी राज्य का मुख्यमंत्री बनना चाहता हूं।
NCP संकट – महाराष्ट्र राजनीति संकट :
राज्य की भलाई करने के लिए राज्य प्रमुख का पद होना जरूरी है। तभी मैं महाराष्ट्र की भलाई कर पाउंगा। मैं आज भी चाचा को देवता मानता हूं। 2024 में भी मोदी ही जीतेंगे। मोदी की तारीफ चाचा को पसंद नहीं आई। देश में मोदी की कोई विकल्प नहीं है। एनसीपी मेरे साथ रहेगी। मैं एनसीपी को दोबारा राष्ट्रीय पार्टी बनाऊंगा। मैंने सुप्रिया सुले से कहा था कि चाचा को समझाओ।
ऊपर लिखी बातों से एक बात तो स्पष्ट है कि अजीत पवार (अजित पवार गुट) को दो बातों ने परेशान किया था पहला ये कि शरद पवार जी अध्यक्ष पद पर वापस आ गये और दूसरी बात वह मुख्यमंत्री पद के पात्र नहीं बन पायेंगे यदि एनसीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं बनते तो।
महाराष्ट्र राजनीति : NCP Breaks Up –
राजनीति करने वालों को यह बात समझ में आती है कि कभी कोई भी हालत में यदि सीएम बनने का मौका मिल जाता है तो उन्हें चूंकना नहीं चाहिये और इस बात का ज्ञान बुद्धिजीवियों को भलीभांति है कि सीएम चेहरा होना और सीएम बनने में बहुत फर्क है, सीएम बनने के बाद ही असली अनुभव होता है नेता बनने का, क्योंकि वह राज्य के चेहरे के तौर पर जनता के सामने आते हैं।
महाराष्ट्र में एनसीपी में टूट का फायदा किसको?
आपको बता दें कि एनसीपी को अगर भविष्य की सोचनी हैं तो उसे एक लीडर की आवश्यक्ता है जो सबको साथ लेकर चलें ऐसे में किसी भी पार्टी के लिये कुशल नेतृत्व करने वाले चेहरे की जरूरत तभी पूरी होगी जब सभी मेंबर एक मत हों। वर्तमान में यह बात अजीत पवार और सुप्रिया सुले में दिख रही है क्योंकि यह दोनों ही चेहरे एनसीपी के पास ऐसे हैं जो बागडोर सम्हालने में सक्षम है।
सुप्रिया सुले जी केन्द्र में पार्टी का नेतृत्व कर रही हैं इसीलिये उनको राज्य में आना उचित नहीं है क्योंकि एनसीपी एक राष्ट्रीय पार्टी है उस लिहाज से अजीत पवार ही योग्य होंगे एनसीपी का नेतृत्व करने के लिये क्योंकि उनके पास अधिक विधायकों का समर्थन है इसलिये उन्होंने शपथ भी ले ली अध्यक्ष पद की। अब आगे के लिये भी पार्टी को टूट से नुकसान ही होगा इसीलिये बेहतर यही होगा की सुलह हो।