
छत्तीसगढ़ का इतिहास: 2000 साल पुराने व्यापारिक केन्द्र
tarighat durg chhattisgarh india – छत्तीसगढ़ का इतिहास (History of Chhattisgarh ) लगभग 2 हजार साल पुराना है। पूर्व में छत्तीसगढ़ बड़ा व्यापारिक केंद्र था और यहां सुदृढ़ प्रशासनिक व्यवस्था प्रचलित थी। वर्तमान में इसी इतिहास को आगे लेकर चलने की आवश्यकता और पुरखों की पद्धति को आगे बढ़ाने की जरूरत है।
Tarighat : मोहन जोदोडो की सभ्यता के समान….
छत्तीसगढ़ के तरीघाट का व्यापारिक इतिहास : इस बारे में ऐतिहासिक तथ्य है कि दुर्ग जिले के पाटन विकासखंड पर बहती खारुल नदी के किनारे पर बसा प्राचीन तारिघाट (तरीघाट) ग्राम जहा पर कभी पांच सभ्यता के निवास होने का प्रमाण मिले है| यहस्थल ढाई हजार वर्ष पुराना अंतराष्ट्रिय व्यापारिक केंद्र हुवा करता था इसे राजा जगत पाल का टीला कहा जाता है| इस शहर कि बनावट मोहन जोदाडो कि सभ्यता के सामान व्यवस्थित सभ्यता प्रतीत होती है| खुदाई के दौरान अनके प्राचीन अवशेष प्राप्त हुई है जिसमे ,मिटटी के मनके, मिट्टी के खिलौने कई अर्ध मानिक, व सोने के सिक्के के साथ ,प्राचीनविष्णु कि मूर्ति भी मिली पुरातत्व विभाग के अनुसार।
1800 साल पुरानी ईंटे व आभूषण मिले थे रीवा में
रायपुर (, raipur tour places ) से सटे आरंग के समीप ग्राम रीवा में प्राचीन स्तूपों की खुदाई में संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के विशेषज्ञों को बड़ी सफलता मिली है। विशेषज्ञों का दावा है कि खुदाई में 18 सौ वर्ष पुराने चांदी और सोने के सिक्के के साथ मणिकणिकाएं मिली है। पुरावशेषों के अन्वेषण के लिए शुरू किए गए इस उत्खनन में एक फीट की खुदाई में 18 सौ साल पुरानी ईटें मिलीं।
रीवा ग्राम ( riva chhattisgahr )स्थल को देख लगभग 6वीं सदी ईसवी में महत्वपूर्ण प्रशासनिक तथा व्यापारिक स्थल की संभावनाएं लगाई गई थीं। उत्खनन करते समय 40 से अधिक टीले मिले हैं, जो बौध स्तूप की तरह हैं। महानदी के पश्चिमी किनारे में बसा ये शहर में सिक्के और मणिकणिकाओं को बनाने का कार्य किया जाता था। पानी की कमी के चलते धीरे-धीरे शहर बड़ी मात्रा में मणिकणिकाएं और सोने-चांदी के सिक्के मिले हैं। ये सिक्के सात वाहन काल के समय के हैं।
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