
world braille day 2023 –
ब्रेल लिपी या पद्धति को जानने के लिये हम सबसे पहले यह जानेंगे कि ब्रेल लिपि के जनक कौन है? ब्रेल लिपी का अविष्कार किसने किया है? लुई ब्रेल ने किया है जिनका जन्म फ्रांस की राजधानी पेरिस से कूपरे गांव में 4 जनवरी 1809 को हुआ था। 4 जनवरी को कौन सा दिवस मनाया जाता है – इसी कारण से louis braille day के रूप में 4 जनवरी ( jan 4 special day ) मनाया जाता है (when is world braille day celebrated ) वह स्वयं एक दृष्टिहीन थे।
आपको बता दें कि लुई चार भाई-बहनों में सबसे छोटे थे। लुई की माता मोनिक ब्रेल गृहणी थी और पिता सायमन ब्रेल घोड़ों की जीन बनाने का एक कारखाना चलाते थे। आपको बता दें कि पाठकों फ्रांस के लुई ब्रेल (world braille day quotes) स्वयं एक दृष्टिहीन होने के बावजूद दृष्टिहीनों को पढ़ने-लिखने के योग्य बनाया।
international braille day
national braille day मनाये जाने के पीछे का एक तर्क यह है कि बच्चे या तो रोमन लिपि या देवनागरी लिपि में, लेकिन दृष्टिहीन बच्चों के पढ़ने के लिए एक अलग लिपि विकसित करने का श्रेय लुई ब्रेल (braille lipi divas) को ही जाता है जिन्होंने ब्रेल लिपि का अवष्किार किया है। तो लेख में आपको बतायेंगे कि कैसे ब्रेल लिपी के जनक लुई ब्रेल ने इस लिपी का अविष्कार किया था।
braille day meaning in hindi – तो बता दें कि पाठकों ब्रेल के नेत्रहीन होने पर उनके पिता ने उन्हें पेरिस के रॉयल नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर ब्लाइंड चिल्डे्रन स्कूल में “वेलन्टीन होउ” द्वारा बनाई गई लिपि से पढ़ाई होती तो लेकिन समस्या यह थी कि पर यह लिपि अधूरी थी। पाठकों जब एक बार फ्रांस की सेना का एक अधिकारी प्रशिक्षण देने के लिये दाखिल हुआ था तब वहीं से ब्रेल लिपी के अवष्किार की स्थिति भी बनने लगी थी जब सैनिकों द्वारा अँधेरे में पढ़ी जाने वाली “नाइट राइटिंग” या “सोनोग्राफी” लिपि के बारे में बताया था। जो अधिकारी ने बताया था उसके अनुसार कागज पर अक्षरों को उभारकर बनाई जाती थी और इसमें 12 बिंदुओं को 6-6 की दो पंक्तियों को रखा जाता था, पर इसमें विराम चिह्न, संख्या, गणितीय चिह्न आदि नहीं होते थे इसके बाद ही तुरंत ब्रेल लिपी के बारे में विचार करते हुए लुईस ने कुछ बदलाव वाले ब्रेल पद्धति विचार सोचे।
अब यहीं से जब लुई के दिमाग में आईडिया आया था कि सेना के अधिकारी ने जो लिपी बताई है उस पर आधारित किन्तु 12 के स्थाण पर 6 बिंदुओं के उपयोग से 64 अक्षर और चिह्न वाली लिपि बनायी। लुई ने जब यह लिपि बनाई तब वे मात्र 14 वर्ष के थे। सन् 1864 में पूर्ण हुई खास बात यह है कि न केवल विराम चिह्न बल्कि गणितीय चिह्न और संगीत के नोटेशन भी लिखे जा सकते थे। यही लिपि आज पूरे दुनिया में लागू है। ब्रेल लिपि (लुईस ब्रेल दिवस ) आविष्कार कब हुआ – brail की मृत्यु के 16 वर्ष बाद सन् 1868 में ‘रॉयल इंस्टिट्यूट फॉर ब्लाइंड यूथ’ ने इस लिपि को मान्यता देना ही पड़ा।
आपने अपने आसपास ऐसे बहुत-से लोग देखे होंगे जिनकी आंखें तो हैं, पर दृष्टि या नजर नहीं है अर्थात आंखें होने के बावजूद वे कुछ भी देखने में असमर्थ होते हैं।
कैसे हुए लुई ब्रेल दृिष्टहीन :
braille day – खेलते-खेलते उन्होंने चाकू से चमड़ा काटने का प्रयास किया जब 3 साल के थे, लेकिन चाकू आंख में जा लगा और लुई की एक आंख हमेशा के लिए दृष्टिहीन हो गई। आपको बता दें कि दुर्भाग्य से दूसरी आंख से भी दिखना बंद हो गया उस आंख में हुए संक्रमण की वजह से कुछ दिनों बाद और वे पूरी तरह दृष्टिहीन हो गए। मात्र 15 वर्ष के उम्र में लुई ने यह लिपि बनाई। उनके जीवनकाल में ब्रेल लिपि को मान्यता नहीं मिली। सन् 1851 में उनकी तबियत बिगड़ने लगी और 6 जनवरी 1852 को मात्र 43 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया। ब्रेल लिपि के द्वारा उन्होंने दृष्टिहीनों के जीवन में जो प्रकाश पैदा किया उसके लिए हमेशा याद किया जायेगा।
विश्व ब्रेल दिवस 2023 की थीम क्या है – अंधे और आंशिक रूप से दृष्टिहीन लोगों के लिए संचार के माध्यम के रूप में ब्रेल के महत्व के बारे में जन जागरूकता बढ़ाना यही है।
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