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नवरात्रि का महत्व : नारी शक्ति उपासना का उत्सव

Religion

navratri 2023 – भारत, विविध संस्कृतियों और परंपराओं की भूमि, अपने जीवंत त्योहारों के लिए जानी जाती है। इनमें से एक, नवरात्रि, सबसे व्यापक रूप से मनाया और सराहनीय त्योहारों में से एक है। इस नौ रातों के उत्सव में भगवान की पूजा, संगीत, नृत्य और स्वादिष्ट खाने का आनंद लेने के लिए समुदायों को एक साथ आने का मौका मिलता है। इस लेख में, हम नवरात्रि के महत्व, इतिहास के बारे में जानेंगे ।

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नवरात्रि का महत्व

नवरात्रि, जिसका संस्कृत में ‘नौ रातें’ है, भारत में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह आमतौर पर अश्विन मास के चंद्र मास में आता है (सामान्यत: सितंबर या अक्टूबर) और शरद ऋतु का प्रारंभ करता है। इस उत्सव का मुख्य महत्व भगवानेश्वरी दुर्गा की पूजा के लिए है, जो दिव्य नारी शक्ति की उपासना का प्रतीक है और शक्ति और साहस को प्रतिष्ठापित करती है।

नवरात्रि: दिव्यता और धर्म का महापर्व

नवरात्रि भारत में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण हिन्दू त्योहार है जो मां दुर्गा की पूजा के लिए आदर का त्योहार है। यह उत्सव नौ दिनों तक चलता है और देवी शक्ति की आराधना और मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा के साथ मनाया जाता है। इ

नवरात्रि का महत्व

नवरात्रि का महत्व भारतीय सांस्कृतिक धर्म में अत्यधिक महत्वपूर्ण है। इसे मां दुर्गा की पूजा के रूप में मनाया जाता है, जो दिव्यता, शक्ति और साहस का प्रतीक हैं। इस पर्व के दौरान हर दिन को एक विशेष देवी के रूप में माना जाता है, और उस दिन की खासीयत होती है। यह पर्व श्रद्धालुओं के लिए देवी शक्ति की पूजा और आदर का महासंग्रह होता है।

नवरात्रि की परंपराएं और मनाने का तरीका

नवरात्रि के दौरान, लोग विभिन्न तरीकों से पूजा और मनाने का तरीका अपनाते हैं:

गरबा और डांडिया: गरबा और डांडिया नामक लोकप्रिय नृत्य रूप नवरात्रि के महत्वपूर्ण हिस्से हैं। लोग बड़ी संख्या में एकत्र आकर परंपरागत वस्त्रों में तैयार होते हैं और ढोल की धड़कन और गरबा और डांडिया गीतों की मधुर धुन पर नृत्य करते हैं।

उपवास: बहुत से भक्त नवरात्रि के दौरान उपवास करते हैं। कुछ लोग नौ दिनों तक भोजन नहीं करते, जबकि अन्य लोग फल, सब्जियां और दूध के उत्पादों का सेवन करते हैं।

 शारदीय नवरात्रि –

शारदीय नवरात्रि आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू नवमी तिथि को समाप्त होने की बात कही गई है इसके दशहरा भी बाद में मनाया जायेगा . प्रतिपदा तिथि के दिन घटस्थापना की जाती है. इस दिन से 9 दिन अखंड ज्योति जलाई जाती है. ज्योतिषाचार्य के अनुसार यह बात तय है.

 इस साल नवरात्रि रविवार 15 अक्टूबर 2023 से शुरू हो रही है. मंगलवार 23 अक्टूबर 2023 को नवरात्रि समाप्त होगी. वहीं, 24 अक्टूबर विजयादशमी या दशहरा का पर्व मनाया जाएगा. आश्विन माह की प्रतिपदा तिथि 14 अक्टूबर 2023 की रात 11:24 मिनट से शुरू होगी. ये 15 अक्टूबर की दोपहर 12:32 मिनट तक रहेगी. उदया तिथि के अनुसार शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 15 अक्टूबर से होगी.

कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त

पंचांग की माने तो शारदीय नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि को यानी पहले दिन कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 15 अक्टूबर को 11:48 मिनट से दोपहर 12:36 तक है. कलश स्थापना शुभ मुहूर्त 48 मिनट ही रहेगा.

  • घटस्थापना तिथि –   रविवार 15 अक्टूबर 2023
  • घटस्थापना मुहूर्त –   प्रातः 06:30 मिनट से प्रातः 08: 47  मिनट तक
  • अभिजित मुहूर्त –  सुबह 11:48 मिनट से दोपहर 12:36 मिनट तक

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