रायपुर लोकसभा चुनाव 2024: छत्तीसगढ़ के भी सात सीटें यानी की सात सीटों के साथ ही पूरा चुनाव संपन्न हो जाएगा। तीसरे चरण का अब बात अगर सीट की जाए तो ये सीट हो चुकी है हाइप्रोफाइल, क्योंकि यहाँ से है एक तरफ बृजमोहन अग्रवाल और दूसरी तरफ से विकास उपाध्याय।एक तरफ अनुभव और दूसरी तरफ युवा चेहरा। समीकरण क्या है और जो प्रत्याशी मैदान में हैं, उनके बारे में भी ज़रा जान लीजिए। राजधानी रायपुर की अगर बात करें तो आपने बिलकुल सही कहा है कि एक तरफ अनुभवी चेहरा है और दूसरी तरफ कांग्रेस की ओर से युवा चेहरा है।
ये ऐसी बेहद ही महत्वपूर्ण हो जाती है। छत्तीसगढ़ की वो भी आ गया है। बृजमोहन अग्रवाल जो की आठ बार के विधायक हैं, राज्य मंत्री भी रहे और दूसरी तरफ कांग्रेस से विकास उपाध्याय युवा चेहरा हैं। कांग्रेस ने भरोसा जताया है, पूर्व विधायक हैं, एक बार फिर से मौका दिया है। देखना होगा कि लोकसभा चुनाव में क्या कमाल पड़।वाउ।टक्कर देने वाला ये मुकाबला है। रायपुर का सियासी समीकरण भी आप देख लीजिये। इस सीट पर 20 सालों से बीजेपी का कब्जा है। लगातार 20 सालों से यहाँ पर कमल खिलता हुआ नजर आ रहा है, लेकिन इस बार कांग्रेस ने नया प्रयोग किया है।
रायपुर लोकसभा चुनाव 2024: Raipur Election Result
नौ विधानसभा सीटों में से आठ पर बीजेपी का कब्जा है। ऐसे में एक सीट मात्र कांग्रेस के पास है।इसीलिए ये बीजेपी के पक्ष में जाता हुआ नजर आ रहा है। समीकरण कांग्रेस को अपनी जमीन तलाशने के लिए मेहनत करनी पड़ रही है और यही वजह है कि एड़ी चोटी का ज़ोर।इस सीट पर सेंधमारी करना कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती है। हालांकि यह नया प्रयोग किया है और इसे बड़ी चुनौती भी माना जा रहा है। एक तरफ अनुभवी चेहरा है जो की आज रहे और ये देखिये रायपुर में कुल विधानसभा सीटों की अगर बात कर ली जाए तो नौ सीटें हैं बीजेपी के पास आज है कांग्रेस के पास मात्र एक है अन्य के खाते में यहाँ पर कुछ भी नहीं है अन्य का कोईकहाँ है? वो खुला है तो ये रायपुर सीट का समीकरण आपने देखा जून से और जया ये था।
राजधानी रायपुर सीट का समीकरण निश्चित तौर पर और चलिए रायपुर सीट को ज़रा समझने की कोशिश कर रहे हैं। यहाँ से प्रत्याशी जो लगातार प्रचार प्रसार कर रहे हैं, चुनावी मैदान में डटे हुए हैं, उनकी क्या स्थिति है? कितना उन पर दबाव है सीट को जीतने के लिए जो एक समय कभी कांग्रेस का गढ़ रही थी। 96 के बाद से लगातार बीजेपी यहाँ से जीत रही है और यहाँ से रमेश बैस (Ramesh Bais) सबसे ज्यादा बार सांसद रहे हैं। सुनील सोनी का पिछली बार टिकट काटकर इस बार ब्रजमोहन अग्रवाल (Brijmohan Agrawal Election )को मैदान में बीजेपी ने उतारा है। तो क्या समीकरण ज्यादा समय नहीं की कोशिश करते हैं? हमारे साथ? रायपुर से इस वक्त जुड़ गए हैं अनंत।अनंत आवाज़ आ रही है आपको क्या?
बृजमोहन अग्रवाल Vs विकास उपाध्याय
कोई साफ तौर पर देखिये अगर रायपुर लोकसभा सीट की बात की जाए तो हाईप्रोफाइल सीट है और अगर इसमें इस बार के प्रत्याशियों की बात की जाए तो वो और भी ज्यादा हाइप्रोफाइल है क्योंकि इस बार भारतीय जनता पार्टी की तरफ से बृजमोहन अग्रवाल जो है मैदान में उतारे गए हैं। और हाँ, अगर कांग्रेस की बात करें तो विकास उपाध्याय (Vikas Upadhyay) युवा चेहरा को जो है कांग्रेस ने मौका दिया है। साफ तौर पर अगर चाहे तो समझा जाए तो 20 सालों सेभारतीय जनता पार्टी इस रायपुर लोकसभा सीट में कहीं ना कहीं जीत हासिल कर रही है और इस बार का। लेकिन अगर समीकरण देखा जाए तो देखिये सांसद जो पिछले अभी है वो सांसद सुनील सोनी हैं लेकिन उनका चेहरा हटाया गया है भारतीय जनता पार्टी की तरफ से और बृजमोहन अग्रवाल जैसे कद्दावर नेता जी ने जिन्हें अजेय विधायक कहा जाता है, रायपुर में उन्हें इस बार मौका दिया गया तो इसका क्या कारण था? ये एक वजह थी।और जब बृजमोहन अग्रवाल का नाम सामने आया।
जब लोकसभा चुनाव है तो साफ तौर पर भारतीय जनता पार्टी में खेमे में एक तरफ से जीत की जो खुशबू थी वो कही ना कही आने लग गई थी भी जा रहा है। भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं द्वारा और खुद बृजमोहन अग्रवाल द्वारा की प्रचंड बहुमत तो से करीबन 8,00,000 से अधिक मार्जिन से जो है ये चुनाव हम जीतेंगे।लेकिन कांग्रेस से बात करते हैं। कांग्रेस ने इस बार ब्राह्मण चेहरे विकास उपाध्याय पर जो है दांव खेला है, युवा चेहरे हैं। खैर विधानसभा के चुनाव तो वो हार चूके हैं लेकिन दावा जो है वो युवा चेहरे पर इस बार कांग्रेस पार्टी करती नजर आ रही है और देखिए विकास उपाध्याय लोगों के बीच जाते हैं तो युवा शक्ति को लेकर जाते हैं तो लोग कहीं न कहीं प्रभावित होते तो नजर आते हैं।लेकिन देखना होगा लेकिन ये जो बीजेपी का गढ़ है देख क्या पा रहे हैं? यहाँ मुकाबला हार या जीत का है या लीड लेने का है?
क्योंकि एक तरफ ब्रजमोहन अग्रवाल जिन्हें आप अजय विधायक कह रहे हैं, दूसरी तरफ विकास उपाध्याय वहीं हैं जिन्होंने राजेश मूणत को हराया था। हालांकि 2023 का चुनाव वो खुद जरूर गए थे तो यहाँ पर।किस प्रत्याशी पर ये कहे कि किस राजनीतिक दल पर ज्यादा प्रेशर इस वक्त दिखाई दे रहा है। क्या बीजेपी अपना गढ़ बचाने के उसके सामने चुनौती है? या ये कहें कि कांग्रेस के सामने ज्यादा चुनौती है क्योंकि उनके सामने बड़ा दिक्कत चेहरा है?ड्राइव।बिलकुल साफ तौर पर अगर रायपुर लोकसभा सीट को समझा जाए तो अगर पुराने प्रत्याशी की बात करते हैं, पुराने उम्मीदवार जो जीत चूके थे भारतीय जनता पार्टी के उनके पक्ष में माहौल जो था वो रायपुर लोकसभा में नहीं रहा, वो जो है।
Raipur Election News : बृजमोहन अग्रवाल को इस बार चुनाव में उतारा गया और अब की स्थिति ये है की अब लीड की बात हो रही है कि कितने मार्जिन से धार्मिक सभा को जीता जाएगा क्योंकि कांग्रेस कहीं पर भी।रायपुर लोकसभा की अगर बात करें तो नजर नहीं आ रही है भले प्रचार किए जा रहे हैं आप देखिए तो प्रचार थम भी चूके हैं.
Read – www.jantapost.in