Ayodhya shri ram pratima - कृष्णशिला पर निर्मित अयोध्या श्री रामलला की मूर्ति राम-कृष्ण की भक्ति का रस देगी

Ayodhya Shri Ram Pratima – कृष्णशिला पर निर्मित अयोध्या श्री रामलला की मूर्ति राम-कृष्ण की भक्ति का रस देगी

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Ayodhya Shri Ram Pratima – कृष्णशिला (Krishna Shila) पर निर्मित अयोध्या श्री रामलला की मूर्ति का कर्नाटक के प्रसिद्ध मूर्तिकार श्री अरुण योगीराज द्वारा निर्माण किया गया है। कृष्णशिला के उपयोग से यह मूर्ति राम-कृष्ण के संयुक्त भक्ति की झलक भी दिखाई देगी। गर्भगृह में स्थित मूर्ति की कहानी में अनगिनत रहस्यमय और आकर्षक गुण हैं। श्याम शिला, जो इस मूर्ति का रूप धारण कर रही है, वह हजारों सालों से बुद्धिमानी से युक्त है और जल को रोकने की विशेष क्षमता से सम्पन्न है। चंदन, रोली और अन्य पूजनीय द्रव्यों का आवश्यकता नहीं है, क्योंकि इसकी चमक अपनी स्वभाविक रूप से ही प्रशांतता और सौंदर्य से भरी है।

रामलला की मूर्ति, पैर की अंगुली से ललाट तक, समृद्धि और शक्ति का प्रतीक है। इसकी ऊचाई 51 इंच है और इसका वजन लगभग 150 से 200 किलो है, जो इसकी महानता को और भी बढ़ाता है। मूर्ति के मुकुट और आभामंडल से लेकर श्रीराम की भुजाओं और मस्तक की सुंदरता तक, हर दृष्टि आकर्षकता से भरी हुई है।

मूर्ति की मुद्रा में, जिसमें इसने कमल दल पर खड़ी होकर हाथ में तीर और धनुष धारित किया हुआ है, भगवान की अद्वितीयता और साहस का प्रतीक है। इसमें पांच साल के बच्चे की बालों की कोमलता भी छुपी है, जो मूर्ति को आदर्शता और सहजता का संदेश देती है।

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नई तस्वीर में भगवान के नए नयन दृश्यमान हैं। इसके बाद, तीसरी फोटो में हमने देखा कि रामलला का अचल विग्रह, गर्भगृह और यज्ञमंडप को पवित्र नदियों के जल से अभिषेक किया गया है। पूजन के क्रम में ही, रामलला का जलाधिवास और गंधाधिवास हुआ, जिससे मंदिर में शांति और पवित्रता का वातावरण बना रहा।

Ayodhya Shri Ram Pratima अयोध्या में भगवान रामलला का आगमन

अयोध्या में भगवान रामलला के प्रतिष्ठान समारोह ( Ayodhya shri ram ki pratima ) के मौके पर, हम एक रोमांचक यात्रा में शामिल होने के लिए तैयार हैं। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि कैसे राम मंदिर के संघर्ष का इतिहास हमें भगवान की प्रतिमा के अद्भूत स्वरूप का दर्शन कराता है।

अयोध्या श्री रामलला की मूर्ति का : अनुभव की गहराईयों में

श्याम शिला की यह प्राचीन प्रतिमा हज़ारों सालों से यहाँ विराजमान है और इसे जल से रोकने की अनूठी शक्ति है। चंदन और रोली का आभूषण इस प्रतिमा की चमक को नहीं कम कर सकता, क्योंकि यह अपने स्वभाविक सौंदर्य और पवित्रता में रत है।

Ram Murti Ki Hight Kya Hai – रामलला की मूर्ति की ऊचाई 51 इंच है और इसका वजन लगभग 150 से 200 किलो है, जो इसकी दिव्य महिमा को और भी आत्मा में भर देता है। मुकुट और आभामंडल से लेकर श्रीराम की भुजाओं और मस्तक की सुंदरता तक, इस प्रतिमा की हर विशेषता में भगवान की अनुपमता है।

शानदार यात्रा की तैयारी: सीओ के साथ सहयोग

Ayodhya Shri Ram Pratima – जब राम जी की भक्ति और उनके जन्मभूमि में वापसी का समय आता है, तो हनुमान जी भी अवश्य उपस्थित होंगे। इस अद्वितीय यात्रा में श्रद्धालुओं का साथ देने के लिए हनुमान जी उनकी सुरक्षा और आशीर्वाद के साथ होंगे। इस अनूठी यात्रा का आनंद लें और रामलला की प्रतिमा (अयोध्या श्री रामलला की मूर्ति )की अद्वितीयता को साझा करें, जिसमें हम सभी को आत्मा की शांति और सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव होगा।

विष्णु अवतार: भगवान रामलला की प्रतिमा

भगवान रामलला की इस अद्वितीय मूर्ति ने पत्थर से एक शानदार फ्रेम बना दिया है, जिसमें भगवान विष्णु के दस अवतारों को प्रतिष्ठित किया गया है। मत्स्य, कुर्म, वराह, नृसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध और कल्कि – ये सभी अवतार इस मूर्ति में साकार रूप में सुप्रसन्न हैं। गरुण और हनुमान जी इस मूर्ति के एक तरफ और दूसरी तरफ ध्यान देने लायक हैं।

एक ही पत्थर से बनी मूर्ति : श्रृंगार और सुंदरता का अद्वितीय संगम

यह मूर्ति एक ही पत्थर पर निर्मित है, जिसमें किसी अन्य पत्थर को जोड़ा नहीं गया है। रामलला की इस मूर्ति में मुकुट की साइड पर सूर्य भगवान, शंख, स्वस्तिक, चक्र और गदा दिखाई देगा। मूर्ति में रामलला के बाएं हाथ की धनुष-बाण पकड़ने की मुद्रा में दर्शनीयता है। इसका वजन लगभग 200 किलोग्राम है और यह 4.24 फीट ऊची और तीन फीट चौड़ी है।

काले रंग की एकलवी मूर्ति: दीर्घकालिक सौंदर्य

रामलला की इस मूर्ति को काले रंग के पत्थर पर बनाया गया है, जिससे इसे दीर्घकालिक सौंदर्य और स्थायिता मिलती है। इस पत्थर पर दूध के अभिषेक का कोई प्रभाव नहीं होता, और यह अन्य धातु या अम्ल के प्रभाव से बचाया जाता है। इसमें कोई रंग का परिणाम नहीं होता है, और यह कई वर्षों तक अपनी असली रूपरेखा को बनाए रखता है। रंग भी हल्का नहीं पड़ता है, जो इस मूर्ति को एक अनुपम चमक देता है। इस मूर्ति का निर्माण आर्यदेव जी ने किया है, जो इसे एक अद्वितीय और सुंदर संगम का प्रतीक बनाते हैं।

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